देखोगे जब भी आईना तो याद आऊंगी मैं टूटेगा जब भी कभी दिल तुम्हारा तो याद रखना || तुम्हारी निगाहों में अश्क बनकर उभर आऊंगी मैं होंगी कभी तेज बारिशें तो यादों में तुम्हारी|| दूर कहीं तुममे सिमटी भीगती नज़र आऊंगी मैं भूल जाना मुझे इतना भी आसान नहीं है || जितना चाहोगे भुलाना उतनी याद आऊंगी मैं जब भी चूमेगा कोई तुम्हारी पेशानियों को|| देखकर लबों को उसके याद तो बहुत आऊंगी मैं बेकरार होकर कभी करार न पाओगे|| देखना एक रोज कितना तड़पाऊंगी मैैैं रो रो कर चाहे जितना भी बुलाओगे मुझे|| उतनी ही दूर तुमसे चली जाऊंगी मैं देखना एक रोज बहुत याद आऊंगी मैं|| देखोगे जब भी कभी आईना तो याद आऊंगी मैं!