लफ़्ज़ों की कमी तो कभी भी नहीं थी जनाब,
हमें तलाश उनकी है जो हमारी ख़ामोशी पढ़ लें!!
चेहरा पढ़ कर देखोगे तो जानोगे,
ख़ामोशी का क्या क्या मतलब होता है!!
ग़लत बातों को ख़ामोशी से सुनना हामी भर लेना,
बहुत हैं फ़ाएदे इस में मगर अच्छा नहीं लगता!!
रंग दरकार थे हम को तेरी ख़ामोशी के,
एक आवाज़ की तस्वीर बनानी थी हमें!!
कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ,
उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की!!
ख़ामोशी का हासिल भी इक लम्बी सी ख़ामोशी थी,
उन की बात सुनी भी हम ने अपनी बात सुनाई भी!!
कोई जब पूछ बैठेगा ख़ामोशी का सबब तुमसे,
बहुत समझाना चाहोगे मगर समझा ना पाओगे !!
होने को वो जैसा भी हो, हम हैं तो वो होगा,
ख़ामोशी ही ख़ामोशी है इस बात से आगे!!
ख़ामोशी का राज़ खोलना भी सीखो,
आँखों की ज़बाँ से बोलना भी सीखो!!
तन्हाइयों से परहेज़ कुछ यूँ भी है,
की ख़ामोशी में तेरी आवाज़ सुनाई देती है !!
बस एक एहसास की ख़ामोशी है-गूँजती है,
बस एक तकमील का अँधेरा है-जल रहा है!!
अब अल्फ़ाज नहीं बचे कहने को,
एक वो है,जो मेरी ख़ामोशी नहीं समझता !!
जैसे इक तूफ़ान से पहले की ख़ामोशी,
आज मिरी बस्ती में ऐसा सन्नाटा है!!
इन ख़ामोश हवाओं में थोड़ी आहट तो हो,
उस बिखरी रूह को हमसे थोड़ी चाहत तो हो!!
खामोशी की तह में छुपा लीजिये उलझनें,
क्योंकि, शोर कभी मुश्किलें आसान नहीं करती!!