लग जा गले के फिर हसी रात हो ना हो .....

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उलझने क्या बताऊँ, ज़िन्दगी की
तेरे ही गले लग कर
तेरी ही शिकायत करनी है

एक ही तमन्ना, एक ही आरजू…
बाँहों की पनाह में तेरे….
सारी जिन्दगी गुजर जाए

सिर्फ एक बार गले लग कर मेरे दिल की धड़कन सुन ,
फिर लौटने का इरादा हम तुम पर छोड़ देंगे

दिल की एक ही ख़्वाहिश हैं..
धड़कनों की एक ही इच्छा हैं..
के तुम मुझे अपनी बाहों में पनाह दे दो,
और में खो जाओ..

ये दूरियां दिल में इतनी चाहत भर देती है,
कि तुमको गले लगाने को मजबूर कर देती है

मुझे भी हग डे मनाना है,
खुशियों को सीने से लगाना है,
एक तुम हो कि आते ही नही
मुझे तो पूरा साल हग डे मनाना है.

मैं अपने सारे दर्द को भुला देता हूँ,
जब मैं तुम्हें जोर से अपने गले लगा लेता हूँ.

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