मैं बोझ तो नहीं

NEHA
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शाम हो गई अभी तो घूमने चलो न पापा

चलते चलते थक गई कंधे पे बिठा लो न पापा
अँधेरे से डर लगता सीने से लगा लो न पापा

मम्मी तो सो गई
आप ही थपकी देकर सुलाओ न पापा

स्कूल तो पूरी हो गई
अब कॉलेज जाने दो न पापा

पाल पोस कर बड़ा किया
अब जुदा तो मत करो न पापा

अब डोली में बिठा ही दिया तो
आँसू तो मत बहाओ न पापा

आपकी मुस्कुराहट अच्छी हैं
एक बार मुस्कुराओ न पापा

आप ने मेरी हर बात मानी
एक बात और मान जाओ न पापा

इस धरती पर बोझ नहीं मैं
दुनियाँ को समझाओ न पापा।।

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