नई दिल्ली। जामिला मिलिया के छात्रों द्वारा हिंसक उपद्रव के बाद पुलिस द्वारा यूनिवर्सिटी में घुसकर छात्रों की पिटाई के मामले ने तूल पकड़ लिया है। छात्रों की पिटाई के विरोध में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए इस मामले पर एक कमेटी बनाने का कहा है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले की प्रकृति को देखते हुए और बड़े क्षेत्र में विवाद होने की वजह से यही बेहतर होगा कि एक कमेटी बनाई जाए जो इस मामले को देखे। यह कमेटी सभी तथ्यों को इकठ्ठा करेगी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को उस क्षेत्र की हाईकोर्ट में जाने का कहा है जहां पर घटनाक्रम घटा। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट को यह स्वतंत्रता रहेगी कि वह SC या HC के पूर्व जजों की नियुक्ति जांच के लिए कर सकते हैं।
SC asks petitioners to approach High Court within the jurisdiction of incidents where protest against #CAA took place. SC said concerned High Courts will be at liberty to appoint former judges of SC or HC for the purpose of inquiry after hearing Centre & the respective States. twitter.com/ANI/status/120 …
सुप्रीम कोर्ट ने हिंसा पर जताई थी नाराजगी
नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ दिल्ली में जामिया मिलिया के छात्रों द्वारा प्रदर्शन किया गया था। इस दौरान प्रदर्शन हिंसक हो गया था और कई गाड़ियों और बसों में तोड़फोड़ कर आग लगाई गई थी। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने छात्रों पर लाठियां बरसाईं थी। छात्रों के हितों को लेकर जब सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई तो चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बोबड़े ने याचिका लगाने वालों को तल्ख लहजे में समझाया कि पहले सड़कों पर हो रही हिंसा को रोका जाए उसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई करेगा। अगर छात्रों को सड़कों पर ही न्याय चाहिए तो फिर सुप्रीम कोर्ट आने की क्या जरुरत है। उन्होंने पब्लिक प्रॉपर्टी के नुकसान पर भी गुस्सा जताया।
छात्रों की तरफ से जानी मानी वकील इंद्रा जयसिंह द्वारा याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि जामिया मिलिया, अलीगढ़ सहित कई जगहों पर छात्रों के साथ हिंसा की जा रही है। इस मामले में कोर्ट द्वारा निर्देश दिए जाने चाहिए।
नागरिकता संशोधन कानून का है विरोध
नागरिकता संशोधन कानून बनाए जाने के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। नए कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैरमुस्लिम हिंदुओं को देश की नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। इसमें मुस्लिमों को शामिल ना किए जाने पर देशभर में प्रदर्शन किए जा रहे हैं।