श्री मद भागवत गीता सार

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भागवत गीता का उपदेश भारत के हरियाणा राज्य में कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान पर अपने शिष्य अर्जुन को, भगवान कृष्णभगवान स्वयं के द्वारा दिया गया.  इन शिक्षाओं को 5000 साल पहले दिया गया था लेकिन ये हमारे जीवन में आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं.

  • अतीत में जो कुछ भी हुआ, वह अच्छे के लिए हुआ, जो कुछ हो रहा हैअच्छा हो रहा है, जो भविष्य में होगाअच्छा ही होगा. अतीत के लिए मत रोओअपने वर्तमान जीवन परध्यान केंद्रित करो , भविष्य के लिए चिंता मत करो 

  • जन्म के समय में आप क्या लाए थे जो अब खो दिया है? आप ने क्या पैदा किया था जो नष्ट हो गया है?  जब आप पैदा हुए थे, तब आप कुछ भी साथ नहीं लाए थे.  आपके पास जो कुछ भी है,  आप को इस धरती पर भगवान से ही प्राप्त हुआ है.  आप इस धरती पर जो भी दोगे, तुम भगवान को ही दोगे.  हर कोई खाली हाथ इस दुनिया में आया थाऔर खाली हाथ ही उसी रास्ते पर चलना होगासब कुछ केवल भगवान के अंतर्गत आता है

  • केवल सर्वशक्तिमान ईश्वर के लिए अपने आप को समर्पित करो.  जो भगवान का सहारा लेगा, उसे हमेशा भयचिंता और निराशा से मुक्ति मिलेगी. 

  • आप एक अविनाशी आत्मा हैं और एक मृत्युमय शरीर नहीं है. शरीर पांच तत्वों से बना है- पृथ्वीअग्नि, जलवायु और आकाश।  एक दिन शरीर इन तत्वों में लीन हो जाएगा

  • आज जो कुछ आप का है,  पहले किसी और का था और भविष्य में किसी और का हो जाएगा. परिवर्तन संसार का नियम है. 
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