अटल जी के इस जवाब से पूरी दुनिया रह गई दंग! पढ़िए, पोखरण परीक्षण का इतिहास
आज वो ऐतिहासिक दिन है, जिसने भारत तो दुनिया के शक्तिशाली देशों की कतार में खड़ा कर दिया. आज ही के दिन 1998 में पोखरण में परमाणु परीक्षण किया गया था. आपको इस ऐतिहासिक तारीख के शौर्यशाली इतिहास के हर पन्ने से रूबरू करवाते हैं...
नई दिल्ली: 11 मई 1998 एक ऐसी ऐतिहासिक तारीख जब पूरी दुनिया ने भारत का लोहा माना. भारत ने दूसरा परमाणु परीक्षण कर दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क अमेरिका और पाकिस्तान को भी दंग कर दिया.
अटल जी की ये बात सुनकर दंग रह गई थी दुनिया
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में आज ही के दिन भारत ने इतिहास रचा था. उस वक्त जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने ये बात कही कि आज 15.45 बजे भारत ने पोखरण रेंज में 3 अंडरग्राउंड न्यूक्लियर टेस्ट किये, तो मानो दुनिया देखती रह गई कि भारत ने आखिर ये कैसे कर लिया?
राजस्थान के जैसलमेर के पास पोखरण में आज ही के दिन 22 साल पहले 11 मई 1998 को भारत ने अटल बिहारी वाजपेयी जी की अगुवाई में सफलतापूर्वक परमाणु परीक्षण किया था. इस परमाणु परीक्षण की कहानी में सबसे अहम रोल वाजपेयी जी का ही था. क्योंकि वाजपेयी जी का वो फैसला सालों साल पूरी दुनिया याद रखेगी. वो फैसला जिसने सुपरपावर अमेरिका को सन्न कर दिया था.
एक के बाद एक 5 परमाणु परीक्षण करके दिखाई ताकत
अमेरिका की सख्त निगरानी को वाजपेयी के इरादों ने नेस्तनाबूत कर दिया था. वाजपेयी सरकार ने ना सिर्फ एक के बाद एक 5 परमाणु परीक्षण किए बल्कि खुद को एटम बम से लैस देश भी घोषित कर दिया.
इस परमाणु परीक्षण के पीछे वाजपेयी की इच्छा शक्ति थी और थी अटल प्रतिज्ञा भी. जिसने उन्होंने पूरा करके ही दम लिया. लेकिन इस मिशन में चुनौती थी अमेरिकी खुफिया सेटेलाइट से बचने की. क्योंकि 1995 में भी सैटेलाइट ने ही तस्वीरें ली थीं. जिस वजह से भारत सरकार न्यूक्लियर टेस्ट नहीं कर पाया था.
जब 'परमाणु पराक्रमी' बना हमारा देश हिन्दुस्तान
उमस भरी उस शाम को तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने एक न्यूक्लियर टेस्ट का ऐलान किया और पूरे देश का गौरव बढ़ाया. हिंदुस्तान का सीना गर्व से चौड़ा हो रहा था, तो गुपचुप तरीके से किए गए इस परमाणु परीक्षण से दुनिया हैरान थी. अमेरिकी इंटेलिजेंस को इस बात की जरा भी भनक नहीं लग पाई, और देखते ही देखते भारत ने परमाणु परीक्षण कर लिया.
लेकिन भारत के लिए ये ऑपरेशन इतना आसान भी नहीं था. बताते हैं कि इस ऑपरेशन से जुड़े वैज्ञानिक इतनी सावधानी बरत रहे थे कि हर जानकारी और बातचीत कोड वर्ड में होती थी. इस मिशन की अगुवाई मिसाइलमैन एपीजे अब्दुल कलाम कर रहे थे.
अमेरिकी सैटेलाइट को चकमा देने की जिम्मेदारी सेना की 58 इंजीनयर रेजिमेंट को सौंपी गई थी. सेना ने जवान यहां फुटबॉल और क्रिकेट खेला करते थे. पूरे इलाके में रंग-बिरंगे झंडे लगाए गए, और लाइव कमेंट्री की व्यवस्था भी की गई. और आस-पास के गांववालों के बैठने की व्यवस्था भी की गई. ये सब इसलिए था कि आसमान से पोखरण पर नजर रख रहे अमेरिकी सैटेलाइट भारत के इरादों को पकड़ ना पाएं.
जब पूरी दुनिया ने देखा भारत का शौर्य और ताकत
जिस दिन परमाणु परीक्षण किया गया उस दिन वैज्ञानिकों ने सेना की वर्दी पहनकर इस ऑपरेशन को अंजाम दिया. सुबह करीब 3 बजे परमाणु बमों को सेना के चार ट्रकों में भरकर लाया गया और फिर एक बटन से ही पूरी दुनिया ने परमाणु शक्ति का दम देखा
तब पोखरण में कुल 6 बम धमाके होने थे, इसमें से 5 ही बम इस्तेमाल किए गए. एक बम को एटॉमिक एनर्जी कमीशन के चेयरमैन आर चिदंबरम ने बाहर निकलवा लिया था. इसके पीछे चिदंबरम का मानना था कि जो रिजल्ट उनकी टीम को चाहिए थे वो मिल गए. लिहाजा एक और बम बर्बाद करने की जरूरत नहीं.
अटल जी नहीं चाहते थे कि न्यूक्लियर टेस्ट की भनक तक लगे
ऑपरेशन शक्ति इस वक्त सेना, साइंटिस्ट और सीधे-सीधे सरकार का मिशन था. इसकी निगरानी प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी कर रहे थे. क्योंकि मिशन ऑपरेशन शक्ति अटल जी की जिंदगी का सबसे अहम फैसला बन गया था. अटल जी नहीं चाहते थे कि किसी को भी भारत के न्यूक्लियर टेस्ट की भनक तक लगे. क्योंकि अमेरिका समेत कई मुल्क भारत को ताकतवर देखना तो छोड़िए सोचना भी पसंद नहीं करते.
वही हुआ जो अटल जी चाहते थे, सबकुछ प्लान के मुताबिक था और अटल जी के साथ मिसाइल मैन डॉक्टर कलाम और उनकी टीम ने दुनिया को दिखा दिया कि इंडिया वाले किसी से कम नहीं. अटल जी ने खुद पोखरण रेंज का दौरा किया. तब भारत दुनिया का छठा परमाणु संपन्न देश बन चुका था. इससे पहले अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, और चीन परमाणु सम्पन्न देश थे.
अमेरिकी सैटेलाइट को भारत ने सूझ-बूझ से दिया था चकमा
जिस अमेरिका ने अरबों डॉलर के खर्च से 4 सैटेलाइट सिर्फ भारत की निगरानी में लगा रखे थे. जिसकी खुफिया एजेंसी सीआईए के एजेंट्स दिनरात निगरानी में जुटे थे. उसने अटल की एटम शक्ति देखी तो होश फाख्ता हो गए. परमाणु परीक्षण से पहले चीन-पाकिस्तान की साठ-गांठ काम कर रही थी. CTBT पर साइन करने के लिए अमेरिका और जापान समेत कई देश उस वक्त भारत पर लगातार दबाव बना रहे थे. लेकिन अटल जी ने सबके मंसूबों पर पानी फेर दिया. उनके लिए देशहित सबसे ऊपर था.
एक रिपोर्ट के अनुसार इस बात की जानकारी काफी कम लोगों को ही थी कि साल 1996 में जब अटल जी ने अपनी 13 दिनों की सरकार बनाई थी, उसी वक्त उन्होंने जो इकलौता फैसला किया था, वो एटम बम टेस्ट का था लेकिन उस वक्त 13 दिनों में ही गठबंधन सरकार गिर गई और अटल जी चूक गए. लेकिन जैसे ही दोबारा सरकार बनी उन्होंने सबसे पहले ये फैसला किया.
अटल जी ने पूर्व पीएम पीवी नरसिम्हा राव को दिया पोखरण-2 का श्रेय
पोखरण-2 का श्रेय अटल जी ने पूर्व पीएम पीवी नरसिम्हा राव को दिया था. अटल जी ने कई मौकों पर इस बात का जिक्र करते हुए ये कहा था कि साल 1996 के मई में जब मैंने पीवी नरसिम्हा राव के बाद प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली तो उन्होंने मुझे बताया गया था कि बम तैयार है, आप आगे बढ़ सकते हैं.
पोखरण में न्यूक्लियर टेस्ट की कोशिश पीएम नरसिम्हा राव ने भी की थी, वो साल 1995 था. पूरी तैयारियां हो चुकी थीं. तारीख भी तय थी लेकिन अमरीकी जासूसी सेटेलाइट ने पोखरण की सारी हलचल कैद कर ली थी. अमेरिका को जैसे ही खबर लगी वाशिंगटन में हड़कंप मच गया था, पूर्व प्रधानमंत्री राव पर दबाव बनाया गया और उस वक्त टेस्ट नहीं हो पाया.
इतिहास से सीख लेकर अटल जी ने नहीं होने दी किसी भी तरह की चूक
अटल जी ने इस इतिहास से सीख ली थी, उन्होंने कोई चूक नहीं होने दी. अमेरिका के जासूस टकटकी लगाए रहे और हिन्दुस्तान ने धमाका कर दिया. जिसके बाद खिसियाकर भारत पर प्रतिबंध लगाए गए. अटल जी ने इन प्रतिबंधों की परवाह कभी नहीं की. उन्होंने तमाम प्रतिबंधों का विध्वंस कर भारत को विकास के रास्ते पर दौड़ाया.
भारत की इस कामयाबी को पूरी दुनिया टकटकी लगाकर देखती रही और भारत तेजी से तरक्की की राह पर बढ़ता चला गया. प्रतिबंधों की परवाह किये बिना प्रगति के पथ रफ्तार के साथ हिन्दुस्तान को आगे बढ़ते देखकर पूरा विश्व दंग रह गया. जिसके बाद उस वक्त के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भारत का लोहा पूरी दुनिया ने स्वीकार किया. अटल जी को यूं ही नहीं विश्वनायक कहा जाता है.