आप जो शराब खरीदते हैं, उससे सरकार को कितना पैसा जाता है?

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सरकार ने लॉकडाउन में शराब की दुकानों को खोलने की परमिशन दे दी. इसके बाद 4 मई से दुकानें खुल गई. खरीदने वालों की लाइनें लग गईं. कुछ सरकारें और शराब इंडस्ट्रीज लंबे समय से शराब दुकानें खोलने की मांग कर रही थीं. शराब पाने की चाहत के आगे लोग कोरोना का डर और फिजिकल डिस्टेसिंग भी भूल गए. इसी बीच सवाल उठा कि शराब की दुकानों को खोलने की परमिशन क्यों दी गई? इसका आसान-सा जवाब है, शराब से सरकारों का खजाना भरता है. ऐसे में शराब की दुकानें खोलना एक तरह की मजबूरी कही जा सकती है, क्योंकि लॉकडाउन में कमाई हो नहीं रही.

राज्यों के पास कमाई के मुख्य स्रोत हैं- जीएसटी का हिस्सा, प्रॉपर्टी टैक्स, पेट्रोल-डीजल पर लगने वाला वैट या सेल्स टैक्स, शराब पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी और गाड़ियों आदि पर लगने वाले टैक्स. गुजरात, बिहार, मणिपुर, नागालैंड और केंद्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप में शराब पर प्रतिबंध हैं. इनके अलावा बाकी सभी राज्य शराब से काफी कमाते हैं.

दिल्ली में एक दुकान से शराब लेकर जाता शख्स. यहां पर सरकार ने शराब पर टैक्स 70 प्रतिशत बढ़ा दिया है. 

क्या है शराब की एक्साइज ड्यूटी

आमतौर पर राज्य शराब बनाने और बेचने पर टैक्स लगाते हैं. इसे एक्साइज ड्यूटी कहते हैं. तमिलनाडु जैसे कुछ राज्य वैल्यू एडेड टैक्स यानी वैट भी लगाते हैं. इसके अलावा इम्पोर्टेड शराब पर स्पेशल फीस, ट्रांसपोर्ट फीस, लेबल और रजिस्ट्रेशन चार्ज भी वसूलते हैं. कुछ राज्य, जैसे उत्तर प्रदेश विशेष कामों के लिए भी शराब पर टैक्स लगाते हैं. यहां पर गायों के संरक्षण के लिए सेस लगाया गया है.

राज्य किन चीजों पर लगाते हैं एक्साइज ड्यूटी

यह टैक्स मुख्य रूप से शराब और अल्कोहल आधारित सामानों पर लगाया जाता है. इनमें देशी स्पिरिट, जौ से बनी शराब (बीयर). विदेशी शराब और स्पिरिट, अफीम, भारत में बनी शराब शामिल होते हैं.

कर्नाटक में एक दिन में 45 करोड़ रुपये की शराब बिकी है. 

कितनी कमाई होती है राज्य सरकार को

आरबीआई रिपोर्ट के अनुसार, 2019-20 के दौरान देश के राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को शराब पर लगे टैक्स से करीब 1,75,501.42 करोड़ रुपये कमाई होने का अनुमान है. इसका मतलब है, राज्यों ने हर महीने 15 हजार करोड़ रुपये शराब से कमाए. यह वित्तीय वर्ष 2018-19 की तुलना में 16 प्रतिशत ज्यादा है.

उत्तर प्रदेश ने पिछले वित्तीय वर्ष में शराब से हर महीने 2,500 करोड़ रुपये कमाए. यानी एक साल में 30 हजार करोड़ रुपये. राज्यों की कमाई का 15 से 20 प्रतिशत हिस्सा शराब से ही आता है.

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किन राज्यों ने बढ़ाई कीमतें

हाल में राजस्थान सरकार ने शराब पर एक्साइज ड्यूटी 10 फीसदी बढ़ा दिया. राज्य में देश में बनी विदेशी शराब (IMFL) और बीयर पर टैक्स 35 से 45 फीसदी तक हो गया है. इसी तरह दिल्ली ने स्पेशल कोरोना फीस नाम का टैक्स लगाया है. इसका रेट 70 प्रतिशत है. यानी 100 रुपये की बोतल के लिए 170 रुपये खर्च करने होंगे. आंध्र प्रदेश ने भी शराब पर 75 प्रतिशत तक टैक्स कर दिया है.

राज्यवार शराब पर लगने वाल टैक्स भी अलग-अलग है. उदाहरण के लिए, अगर दिल्ली में बीयर 100 रुपये में मिलती है, तो वह हरियाणा में 90 रुपये में मिल सकती है. या फिर राजस्थान में उसकी कीमत 120 रुपये हो सकती है. राज्यों में देशी, भारत में बनी विदेशी शराब और बीयर पर अलग-अलग टैक्स लगता है. ऐसे में रेट में अंतर रहता है. जैसे राजस्थान में 900 रुपये से कम कीमत की इंडिया मेड फॉरेन लिकर पर 35 प्रतिशत टैक्स है. उसी तरह 900 रुपये से ज्यादा कीमत की इंडिया मेड फॉरेन लिकर पर 45 फीसदी टैक्स लगता है.

आसान शब्दों में कहें तो फैक्टरी से बनकर निकली शराब आपके हाथ तक पहुंचते-पहुंचते बहुत महंगी हो जाती है. उदाहरण के लिए अगर शराब की कीमत 100 रुपये है तो उसमें से करीब 50 से 60 रुपये सरकार की झोली में जाते हैं.

लॉकडाउन से राज्यों को कितना घाटा हुआ, ये भी दिल्ली के उदाहरण से समझ सकते हैं. पिछले साल अप्रैल में सरकार ने 3500 करोड़ कमाए थे. इस बार अप्रैल में सिर्फ 300 करोड़ मिले. इसीलिए राज्य सरकारें शराब की दुकानें खोलने की जल्दबाजी कर रही थीं.

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