जिसे काँग्रेस ने दो बार संसद मे पेश किया।
2005 मे और फिर 2011में ।
कांग्रेस हिंदुओ के खिलाफ ऐसा बिल लेकर आई थी जिसको सुनकर आप कांप उठेंगे । परन्तु भाजपा के जबरदस्त विरोध के कारण वह पास नहीं करवा सकी । मुझे यकीन है कि 90% हिन्दुओ को तो अपने खिलाफ आये इस बिल के बारे में कुछ पता भी नहीं होगा जिसमें शिक्षित हिंदू भी शामिल है
क्योंकि हिंदू सम्पत्ति जुटाने में लगा है उसको इस सब बातों को जानने के लिए समय नहीं है । जबकि मुसलमान के अनपढ़ भी इतने जागरूक है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान में धर्म के आधार पर प्रताड़ित किये गए हिन्दू व अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को नागरिकता देने वाले CAA क़ानून के खिलाफ मुसलमान का बच्चा बच्चा उठ खड़ा हुआ । अगर काँग्रेस दुबारा सत्ता में आई तो यह बिल फिर लेकर आएगी ।#
# क्या है दंगा_नियंत्रण_कानून,
*जिसे कांग्रेस सरकार संसद में पास करवाना चाहती थी*
हिंदू समाज के लिए फांसी का फंदा, कुछ एक लोगों को इस बिल के बारे में पता होगा, 2011 में इस बिल की रुप रेखा को सोनिया गाँधी की विशेष टीम ने बनाया था जिसे NAC भी कहते थे, इस टीम में दर्जन भर से ज्यादा सदस्य थे और सब वही थे जिन्हें आजकल अर्बन नक्सली कहा जाता है..
कांग्रेस का कहना था की इस बिल के जरिये वो देश में होने वाले दंगों को रोकेंगे। अब इस बिल में कई प्रावधानो पर जरा नजर डालिए :--
📌 इस बिल में प्रावधान था कि दंगों के दौरान दर्ज अल्पसंख्यक से सम्बंधित किसी भी मामले में सुनवाई कोई हिंदू जज नहीं कर सकता था ।
📌 अगर कोई अल्पसंख्यक सिर्फ यह आरोप लगा दे कि मुझसे भेदभाव किया गया है तो पुलिस को अधिकार था कि आपके पक्ष को सुने बिना आपको जेल में डालने का हक होगा और इन केसों में जज भी अल्पसंख्यक ही होगा..
📌 इस बिल में ये प्रावधान किया गया था कि कोई भी हिन्दू दंगों के दौरान हिंसा, आगजनी, तोड़फोड़
के लिये अल्पसंख्यक समुदाय के विरुद्ध केस दर्ज नहीं करवा सकता ।
📌 इस बिल में प्रावधान किया गया था कि अगर कोई अल्पसंख्यक समुदाय का व्यक्ति हिन्दू पर हिंसा, आगजनी, तोड़फोड़, हत्या का आरोप लगाता है तो कोर्ट में साक्ष्य पेश करने की जिम्मेदारी उसकी नहीं है केवल मुकदमा दर्ज करवा देना ही काफ़ी है । बल्कि कोर्ट में निर्दोष साबित होने की जिम्मेदारी उस व्यक्ति की है जिस पर आरोप लगाया गया है ।
📌 इस बिल में ये प्रावधान किया गया था कि दंगों के दौरान अल्पसंख्यक समुदाय को हुए किसी भी प्रकार के नुकसान के लिए बहुसंख्यक को जिम्मेदार मानते हुए अल्पसंख्यक समुदाय के नुकसान की भरपाई हिंदू से की जाए । जबकि बहुसंख्यक के नुकसान के लिए अल्पसंख्यक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता था ।
📌 अगर आपके घर में कोई कमरा खाली है और कोई मुस्लिम आपके घर आता है उसे किराए पर मांगने के लिए तो तो आप उसे कमरा देने से इंकार नहीं कर सकते थे क्योंकि उसे बस इतना ही कहना था कि आपने उसे मुसलमान होने की वजह से कमरा देने से मना कर दिया यानि आपकी बहन बेटी को छेड़ने वाले किसी अल्पसंख्यक के खिलाफ भी हम कुछ नहीं कर सकते थे। मतलब कि अगर कोई छेड़े तो छेड़ते रहने दो वर्ना वो आपके खिलाफ कुछ भी आरोप लगा देता….. आपकी सीधी गिरफ़्तारी और ऊपर से जज भी अल्पसंख्यक..
📌 देश के किसी भी हिस्से में दंगा होता, चाहे वो मुस्लिम बहुल इलाका ही क्यों न हो, दंगा चाहे कोई भी शुरू करता पर दंगे के लिए उस इलाके के वयस्क हिन्दू पुरुषों को ही दोषी माना जाता और उनके खिलाफ केस दर्ज कर जांचें शुरू होती। और इस स्थिति में भी जज केवल अल्पसंख्यक ही होता ऐसे किसी भी दंगे में चाहे किसी ने भी शुरू किया हो..
📌अगर दंगों वाले इलाके में किसी भी हिन्दू बच्ची या हिन्दू महिला का रेप होता तो उसे रेप ही नहीं माना जाता । बहुसंख्यक है हिन्दू इसलिए उसकी महिला का रेप रेप नहीं माना जायेगा और इतना ही नहीं कोई हिन्दू महिला बलात्कार की पीड़ित हो जाती और वो शिकायत करने जाती तो अल्पसंख्यक के खिलाफ नफरत फ़ैलाने का केस उस पर अलग से डाला जाता..
📌 इस एक्ट में एक और प्रस्ताव था जिसके तहत आपको पुलिस पकड़ कर ले जाती अगर आप पूछते की आपने अपराध क्या किया है तो पुलिस कहती की तुमने अल्पसंख्यक के खिलाफ अपराध किया है, तो आप पूछते की उस अल्पसंख्यक का नाम तो बताओ, तो पुलिस कहती – नहीं शिकायतकर्ता का नाम गुप्त रखा जायेगा..
📌 कांग्रेस के दंगा नियंत्रण कानून में ये भी प्रावधान था की कोई भी इलाका हो बहुसंख्यको को अपने किसी भी धार्मिक कार्यक्रम से पहले वहां के अल्पसंख्यकों का NOC लेना जरुरी होता यानि उन्हें कार्यक्रम से कोई समस्या तो नहीं है । ऐसे हालात में अल्पसंख्यक बैठे बैठे जजिया कमाते क्यूंकि आपको कोई भी धार्मिक काम से पहले उनकी NOC लेनी होती, और वो आपसे पैसे की वसूली करते और आप शिकायत करते तो भेदभाव का केस आप पर और ऐसे हालात में जज भी अल्पसंख्यक..
📌 और भी अनेको प्रावधान थे कांग्रेस के इस दंगा नियंत्रण कानून में जिसे अंग्रेजी में # Communal Violence Bill भी कहते है..
सुब्रमण्यम स्वामी ने इस बिल का सबसे पहले विरोध शुरू किया था और उन्होंने इस बिल के बारे में लोगों को जब बताया था तो 2012 में हिन्दू काँप उठे थे तभी से कांग्रेस के खिलाफ हिन्दुओं ने एकजुट होना शुरू कर दिया था।
सुब्रमण्यम स्वामी का पूरा लेक्चर इस
#**Communal_Violence_Bill** पर आज भी मौजूद है, 45 मिनट से ज्यादा का है। आप चाहे तो *YOUTUBE* पर सर्च कर लें, और अच्छे से सुन लें..
अब इस के बाद भी जो हिन्दू कांग्रेस को support करता है वे जाने अनजाने अपने ही लोगो के लिए नरक का द्वार खोल रहे हो इसे जानो
साभार.....
क्योंकि हिंदू सम्पत्ति जुटाने में लगा है उसको इस सब बातों को जानने के लिए समय नहीं है । जबकि मुसलमान के अनपढ़ भी इतने जागरूक है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान में धर्म के आधार पर प्रताड़ित किये गए हिन्दू व अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को नागरिकता देने वाले CAA क़ानून के खिलाफ मुसलमान का बच्चा बच्चा उठ खड़ा हुआ । अगर काँग्रेस दुबारा सत्ता में आई तो यह बिल फिर लेकर आएगी ।#
# क्या है दंगा_नियंत्रण_कानून,
*जिसे कांग्रेस सरकार संसद में पास करवाना चाहती थी*
हिंदू समाज के लिए फांसी का फंदा, कुछ एक लोगों को इस बिल के बारे में पता होगा, 2011 में इस बिल की रुप रेखा को सोनिया गाँधी की विशेष टीम ने बनाया था जिसे NAC भी कहते थे, इस टीम में दर्जन भर से ज्यादा सदस्य थे और सब वही थे जिन्हें आजकल अर्बन नक्सली कहा जाता है..
कांग्रेस का कहना था की इस बिल के जरिये वो देश में होने वाले दंगों को रोकेंगे। अब इस बिल में कई प्रावधानो पर जरा नजर डालिए :--
📌 इस बिल में प्रावधान था कि दंगों के दौरान दर्ज अल्पसंख्यक से सम्बंधित किसी भी मामले में सुनवाई कोई हिंदू जज नहीं कर सकता था ।
📌 अगर कोई अल्पसंख्यक सिर्फ यह आरोप लगा दे कि मुझसे भेदभाव किया गया है तो पुलिस को अधिकार था कि आपके पक्ष को सुने बिना आपको जेल में डालने का हक होगा और इन केसों में जज भी अल्पसंख्यक ही होगा..
📌 इस बिल में ये प्रावधान किया गया था कि कोई भी हिन्दू दंगों के दौरान हिंसा, आगजनी, तोड़फोड़
के लिये अल्पसंख्यक समुदाय के विरुद्ध केस दर्ज नहीं करवा सकता ।
📌 इस बिल में प्रावधान किया गया था कि अगर कोई अल्पसंख्यक समुदाय का व्यक्ति हिन्दू पर हिंसा, आगजनी, तोड़फोड़, हत्या का आरोप लगाता है तो कोर्ट में साक्ष्य पेश करने की जिम्मेदारी उसकी नहीं है केवल मुकदमा दर्ज करवा देना ही काफ़ी है । बल्कि कोर्ट में निर्दोष साबित होने की जिम्मेदारी उस व्यक्ति की है जिस पर आरोप लगाया गया है ।
📌 इस बिल में ये प्रावधान किया गया था कि दंगों के दौरान अल्पसंख्यक समुदाय को हुए किसी भी प्रकार के नुकसान के लिए बहुसंख्यक को जिम्मेदार मानते हुए अल्पसंख्यक समुदाय के नुकसान की भरपाई हिंदू से की जाए । जबकि बहुसंख्यक के नुकसान के लिए अल्पसंख्यक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता था ।
📌 अगर आपके घर में कोई कमरा खाली है और कोई मुस्लिम आपके घर आता है उसे किराए पर मांगने के लिए तो तो आप उसे कमरा देने से इंकार नहीं कर सकते थे क्योंकि उसे बस इतना ही कहना था कि आपने उसे मुसलमान होने की वजह से कमरा देने से मना कर दिया यानि आपकी बहन बेटी को छेड़ने वाले किसी अल्पसंख्यक के खिलाफ भी हम कुछ नहीं कर सकते थे। मतलब कि अगर कोई छेड़े तो छेड़ते रहने दो वर्ना वो आपके खिलाफ कुछ भी आरोप लगा देता….. आपकी सीधी गिरफ़्तारी और ऊपर से जज भी अल्पसंख्यक..
📌 देश के किसी भी हिस्से में दंगा होता, चाहे वो मुस्लिम बहुल इलाका ही क्यों न हो, दंगा चाहे कोई भी शुरू करता पर दंगे के लिए उस इलाके के वयस्क हिन्दू पुरुषों को ही दोषी माना जाता और उनके खिलाफ केस दर्ज कर जांचें शुरू होती। और इस स्थिति में भी जज केवल अल्पसंख्यक ही होता ऐसे किसी भी दंगे में चाहे किसी ने भी शुरू किया हो..
📌अगर दंगों वाले इलाके में किसी भी हिन्दू बच्ची या हिन्दू महिला का रेप होता तो उसे रेप ही नहीं माना जाता । बहुसंख्यक है हिन्दू इसलिए उसकी महिला का रेप रेप नहीं माना जायेगा और इतना ही नहीं कोई हिन्दू महिला बलात्कार की पीड़ित हो जाती और वो शिकायत करने जाती तो अल्पसंख्यक के खिलाफ नफरत फ़ैलाने का केस उस पर अलग से डाला जाता..
📌 इस एक्ट में एक और प्रस्ताव था जिसके तहत आपको पुलिस पकड़ कर ले जाती अगर आप पूछते की आपने अपराध क्या किया है तो पुलिस कहती की तुमने अल्पसंख्यक के खिलाफ अपराध किया है, तो आप पूछते की उस अल्पसंख्यक का नाम तो बताओ, तो पुलिस कहती – नहीं शिकायतकर्ता का नाम गुप्त रखा जायेगा..
📌 कांग्रेस के दंगा नियंत्रण कानून में ये भी प्रावधान था की कोई भी इलाका हो बहुसंख्यको को अपने किसी भी धार्मिक कार्यक्रम से पहले वहां के अल्पसंख्यकों का NOC लेना जरुरी होता यानि उन्हें कार्यक्रम से कोई समस्या तो नहीं है । ऐसे हालात में अल्पसंख्यक बैठे बैठे जजिया कमाते क्यूंकि आपको कोई भी धार्मिक काम से पहले उनकी NOC लेनी होती, और वो आपसे पैसे की वसूली करते और आप शिकायत करते तो भेदभाव का केस आप पर और ऐसे हालात में जज भी अल्पसंख्यक..
📌 और भी अनेको प्रावधान थे कांग्रेस के इस दंगा नियंत्रण कानून में जिसे अंग्रेजी में # Communal Violence Bill भी कहते है..
सुब्रमण्यम स्वामी ने इस बिल का सबसे पहले विरोध शुरू किया था और उन्होंने इस बिल के बारे में लोगों को जब बताया था तो 2012 में हिन्दू काँप उठे थे तभी से कांग्रेस के खिलाफ हिन्दुओं ने एकजुट होना शुरू कर दिया था।
सुब्रमण्यम स्वामी का पूरा लेक्चर इस
#**Communal_Violence_Bill** पर आज भी मौजूद है, 45 मिनट से ज्यादा का है। आप चाहे तो *YOUTUBE* पर सर्च कर लें, और अच्छे से सुन लें..
अब इस के बाद भी जो हिन्दू कांग्रेस को support करता है वे जाने अनजाने अपने ही लोगो के लिए नरक का द्वार खोल रहे हो इसे जानो
साभार.....