शेर और चूहा (Kahaniya Hindi) Lion And Mouse

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गर्मी के दिन थे। दोपहरी में एक शेर पेड़ की छाया में सो रहा था। उसी पेड़ के पास बिल में एक चूहा रहता था। वह खेलने के लिये अपने बिल से बाहर निकला और सोए हुए शेर के पास इधर-उधर दौड़ने लगा। इससे शेर की नींद टूट गयी। उसने चूहे को पंजे मे धर दबोचा। बेचारा चूहा भय से काँपने लगा। चीं-चीं करते हुए उसने शेर से कहा, "हे जंगल के राजा, कृपया मुझे माफ कर दीजिए। मुझ पर दया कीजिए। मुझे छोड़ दीजिये। इस अहसान का बदला एक दिन मैं जरूर चुका दूगाँ।"

नन्हे चूहे के ये शब्द सुनकर शेर जोर से हँस पड़ा। उसने कहा, "बड़ी मजेदार सूझबूझ है तुम्हारी, नन्हे! इत्ता-सा तो है तू! मुझ जैसे ताकतवर जंगल के राजा की तू क्या मदद करेगा? फिर भी शेर को चूहे पर दया आ गयी। उसने चूहे को छोड़ दिया।

कुछ दिन बीत गये। एक दिन चूहे ने शेर की दर्द भरी दहाड़ सुनी। वह फौरन बिल से बाहर निकला। उसने देखा कि शेर सचमुच संकट में फँस गया है। शेर एक शिकारी के जाल मे फँस गया था। उसने जाल से निकलने की भरसक कोशिश की, पर उसे सफलता नही मिली। चूहा दौड़ता हुआ शेर के पास आया। उसने शेर से कहा, "जंगल के राजा, आप चिंता न करें। मै अभी आप को आजाद कर देता हूँ। चूहा अपने तेज दाँतो से जाल को कुतरने लगा। थोड़े समय में ही शेर जाल से मुक्त हो गया।

शेर ने चूहे को धन्यवाद दिया और अपनी गुफा की ओर चल दिया।

शिक्षा -छोटे जीवों की शक्ति को कम नही आँकना चाहिए

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