सुख की इच्छा हेतु श्रद्धालु को सूर्य, श्रीगणेश, दुर्गा, शिव व विष्णु इन पांचों देवों का पूजन करना चाहिए।
हमारे धर्म ग्रंथों में देवताओं के पूजन से संबंधित बहुत-सी जरूरी बातें बताई गई है। ये बातें बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। आज हम आपको पूजन से जुड़ी यही कुछ जरूरी बातें बता रहे हैं- सूर्य, श्रीगणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु को पंचदेव कहा गया है। सुख की इच्छा रखने वाले हर मनुष्य को प्रतिदिन इन पांचों देवों की पूजा अवश्य करनी चाहिए। शिवजी की पूजा में केतकी के फूल वर्जित है।
सूर्य की पूजा में अगस्त्य के फूल नहीं चढ़ाने चाहिए। भगवान श्रीगणेश की पूजा में तुलसी के पत्ते वर्जित माने गए हैं। स्नान करने के बाद ही पूजन के लिए फूल तोड़ना चाहिए। वायु पुराण के अनुसार जो व्यक्ति बिना स्नान किए फूल या तुलसी के पत्ते तोड़ देवताओं को अर्पित करता है, उसकी पूजा को देवता ग्रहण नहीं करते।
देवताओं के पूजन में अनामिका से गंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी) लगाना चाहिए। शुद्ध घी का दीपक अपनी बाईं ओर तथा तेल का दीपक दाईं ओर रखना चाहिए। पूजन में देवताओं को धूप, दीप अवश्य दिखाना चाहिए तथा नेवैद्य (भोग) भी जरूर होना चाहिए।
दीपक को स्वयं कभी नहीं बुझाएं। भगवान को कभी भी बासी जल, फूल और पत्ते नहीं चढ़ाना चाहिए। गंगाजल, तुलसी के पत्ते, बिल्वपत्र और कमल, ये चारों किसी भी अवस्था में बासी नहीं होते। भगवान सूर्य की सात, श्रीगणेश की तीन, विष्णु की चार और शिव की तीन परिक्रमा करनी चाहिए।
पूजन-स्थल के ऊपर कोई कबाड़ या वजनी चीज न रखें। पूजन-स्थल पर पवित्रता का ध्यान रखें। शिवपुराण के अनुसार श्रीगणेश को जो दूर्वा चढ़ाई जाती है, वह बारह अंगुल लंबी और तीन गांठों वाली होना चाहिए। ऐसी 101 या 121 दूर्वा से श्रीगणेश की पूजा करना चाहिए। विष्णु को प्रसन्न करने के लिए पीले रंग का रेशमी वस्त्र अर्पित करना चाहिए। दुर्गा, सूर्य व श्रीगणेश को प्रसन्ना करने के लिए लाल रंग के वस्त्र अर्पित करना चाहिए।