Ayodhya case: लालकृष्ण आडवाणी, कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित 32 आरोपितों से पूछे जाएंगे 1000 सवाल

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अयोध्या में विवादित ढांचा ध्वंस मामले में 32 आरोपित विशेष अदालत के न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार यादव के समक्ष गुरुवार यानी चार जून को अपना बयान दर्ज कराने के लिए हाजिर होंगे। मुकदमे की सुनवाई सुबह साढ़े दस बजे प्रारंभ होगी। कोर्ट में कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित सभी आरोपितों से एक हजार से ज्यादा प्रश्न पूछे जाएंगे, जिनका उत्तर सभी को देना होगा।

सीबीआइ की ओर से पेश 354 गवाहों का बयान दर्ज कराने के बाद अगली कार्रवाई के लिए अदालत ने आरोपितों का बयान दर्ज करने के लिए एक हजार से अधिक सवाल तैयार किए हैं। यह सभी सवाल मुकदमे की कार्यवाही एवं विचरण के दौरान गवाह एवं पेश किए गए दस्तावेजों पर आधारित हैं। न्यायिक प्रक्रिया के अनुसार अदालत के पीठासीन अधिकारी द्वारा (धारा313द.प्र.स. के अंतर्गत) बयान दर्ज करने के लिए आरोपितों से प्रश्न पूछे जाते हैं और उन्हेंं प्रश्नों का जवाब देना होता है। मौजूदा समय में सीबीआइ द्वारा आरोपित पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, पवन पांडे, बृजभूषण शरण सिंह, सतीश प्रधान, विनय कटियार, डॉ.रामविलास वेदांती, चंपत राय, महंत नृत्य गोपाल दास, महंत धर्मदास, स्वामी साक्षी महाराज एवं तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट आरएन श्रीवास्तव सहित 32 लोगों के विरुद्ध मुकदमा चल रहा है। 

इनकी हो चुकी है मौत

वहीं अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, विष्णु हरि डालमिया, मोरेश्वर सावें, महंत अवैद्यनाथ, महामंडलेश्वर जगदीश मुनि महाराज, वैकुंठ लाल शर्मा, परमहंस रामचंद्र दास, डॉ. सतीश नागर, बालासाहेब ठाकरे, तत्कालीन एसएसपी डीबी राय, रमेश प्रताप सिंह, महत्यागी हरगोविंद सिंह, लक्ष्मी नारायण दास, राम नारायण दास एवं विनोद कुमार बंसल की मृत्यु हो चुकी है। उच्च न्यायालय के निर्देश पर विशेष अदालत में प्रतिदिन सुनवाई की जा रही है। आगामी 31 अगस्त को निर्णय सुनाया जाना है। न्यायालय पत्रावली के अनुसार इस मामले में छह दिसंबर 1992 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी। सीबीआइ में विवेचना के उपरांत 48 लोगों के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल किया था। 

अयोध्‍या विवादित ढांचा प्रकरण एक नजर में 

1528: अयोध्या में एक ऐसे स्थल पर मस्जिद का निर्माण किया गया था, जो भगवान राम का जन्मस्थान था। मुगल सम्राट बाबर ने यह मस्जिद बनवाई थी। इसलिए, बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था।
1853: हिंदुओं का आरोप है कि भगवान राम के मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण हुआ। इस मुद्दे पर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच पहली हिंसा हुई।

1885: मामला पहली बार अदालत में पहुंचा। महंत रघुवरदास ने फैजाबाद अदालत में बाबरी मस्जिद से लगे राममंदिर के निर्माण की इजाजत के लिए अपील दायर की।

23 दिसंबर 1949: करीब 50 हिंदुओं ने मस्जिद के केंद्रीय स्थल पर कथित तौर पर भगवान राम की मूर्ति रख दी। इसके बाद उस स्थान पर हिंदू नियमित रूप से पूजा करने लगे। मुसलमानों ने नमाज पढ़ना बंद कर दिया।

17 दिसंबर 1959: निर्मोही अखाड़ा ने विवादित स्थल हस्तांतरित करने के लिए मुकदमा दायर किया।

18 दिसंबर 1961: उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने विवादित स्थल के मालिकाना हक के लिए मुकदमा।

1984: विश्र्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने विवादित स्थल का ताला खोलने और एक विशाल मंदिर के निर्माण के लिए अभियान शुरू किया। एक समिति का गठन किया गया।

01 फरवरी 1986: फैजाबाद जिला न्यायाधीश ने विवादित स्थल पर हिंदुओं को पूजा की इजाजत दी। ताला दोबारा खोला गया। नाराज मुस्लिमों ने विरोध में बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया।

01 जुलाई 1989: भगवान रामलला विराजमान नाम से पांचवां मुकदमा दाखिल किया गया।

09 नवंबर 1989: तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार ने विवादित स्थल के नजदीक शिलान्यास की इजाजत दी।
06 दिसंबर 1992: हजारों की संख्या में कारसेवकों ने अयोध्या पहुंचकर विवादित ढांचा ढहा दिया, जिसके बाद देश के कई हिस्सों में सांप्रदायिक दंगे हुए। जल्दबाजी में एक अस्थायी राममंदिर बनाया गया। प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने मस्जिद के पुनर्निर्माण का वादा किया।

2002 अप्रैल: अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर उच्च न्यायालय के तीन जजों की पीठ ने सुनवाई शुरू की।
2005 जुलाई: आतंकवादियों ने विस्फोटक से भरी एक जीप का इस्तेमाल करते हुए विवादित स्थल पर हमला किया। सुरक्षा बलों ने पांच आतंकवादियों को मार गिराया।

30 सितंबर 2010: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया।
30 सितंबर 2010: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटा जिसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े में जमीन बंटी।
28 सितंबर 2010: सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहबाद उच्च न्यायालय को विवादित मामले में फैसला देने से रोकने वाली याचिका खारिज करते हुए फैसले का मार्ग प्रशस्त किया।
9 मई 2011: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी।
जुलाई 2016: बाबरी मामले के सबसे उम्रदराज वादी हाशिम अंसारी का निधन।
21 मार्च 2017: रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता की पेशकश की। चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने कहा कि अगर दोनों पक्ष राजी हों तो वह कोर्ट के बाहर मध्यस्थता करने को तैयार हैं।
19 अप्रैल 2017: सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित बीजेपी और आरएसएस के कई नेताओं के खिलाफ आपराधिक केस चलाने का आदेश दिया।

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